डिप्रेशन क्या है?
डिप्रेशन आप ऐसी बातों को अक्सर दूसरे लोगों के साथ शेर नहीं करेंगे क्योंकि आपको लगेगा की यार नहीं यार मैं क्यों शेयर करूँ? यह क्या करेंगे? इस इन्फॉर्मेशन के साथ लोग मुझे जज करेंगे वगैरह वगैरह। ऐसे लोग सोचते नहीं आई फील कि जो भी दुनिया में हो रहा है ना आजकल इन सभी चीजों से हमें सीखना चाहिए !
पहले तो आपको यह जानना चाहिए कि क्लिनिकल डिप्रेशन और दुख फीलिंग डिप्रेस्ड ये दो अलग चीजें होती हैं। क्लिनिकल डिप्रेशन आपकी बॉडी की एक प्रॉब्लम होती है। आपके सिस्टम का एक प्रॉब्लम होता है जहाँ आपके बॉडी में वो कैपेबिलिटी नहीं होती है, फीलगुड प्रोड्यूस करने की, तो क्लिनिकल डिप्रेशन होने के लिए ना आपको कोई ट्रिगर की जरूरत नहीं है। कोई ऐसी चीज़ जिसकी वजह से आपको सैडनेस या दुख फील हो रहा हो, उसकी जरूरत नहीं है। क्लिनिकल डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है और क्लिनिकल डिप्रेशन की सबसे डरावनी बात यह है
मान लो आपके सामने कोई क्लीनिकली डिप्रेस्ड आदमी आपको पता भी नहीं होगा कि वो क्लिनिकली डिप्रेस्ड है। उस स्माइल कर रहे होंगे आपके साथ। बट अंदर ही अंदर डिप्रेस्ड है। ठीक है तो यह एक सिरियस चीज़ है। अगर आपको लगता है कि आप क्लिनिक के लिए डिप्रेस्ड हो, आपको प्रोफेशनल हेल्प की जरूरत है।
क्या ब्रेकअप की वजह से डिप्रेशन होता है?
जब हम मेंटल हेल्थ इशूज़ के बारे में बात करते हैं, बहुत सारे लोग ऐसी चीजों के बारे में बात कर रहे हैं। उनकी लाइफ में कोई ट्रामा हो गया, ब्रेकअप हो गया है, फेल्यर हो गया है, रिजेक्शन हो गई है, उनकी फैमिली में या सोशल लाइफ में कोई लॉस हो गई है कोई छोड़ के चले गए उनको? उन चीजों की वजह से। हमें अक्सर दुख होता है, लाइफ में मेंटल हेल्थ इशूज होते है।
तो चलो अभी चार ऐसी चीजों के बारे में बात करते हैं जो आपको बिल्कुल जाननी ही चाहिए पॉइंट नंबर वन अगर आपको लग रहा है की आपके भी लाइफ में मेंटल हेल्थ इशूज़ है। तो आपको पहले तो किसी से बात करना चाहिए। या आपके दोस्त हो सकते हैं या आपके फैमिली हो सकती है या आपके मेन्टर यानी की आपकी गुरु हो सकते हैं। बट कोई ना कोई आपकी लाइफ में होना ही चाहिए जिससे आप बात कर सके। इन चीजों के बारे में। बिना इम्बैरस होकर, बिना शर्मिंदा होकर, बिना डर के खुलकर बातें कर सकते हो?
दुखना 100 किलो का डंबल की तरह होता है। अगर आप अकेले उस डम्बल को उठाने जाओगे ना मुश्किल होगा आपके लिए। अगर 100 किलो का दोस्तों के साथ उठाओ, फैमिली के साथ उठाओ, अपने मेंटर्स के साथ उठाओ और एक और चीज़।
दूसरे लोगों के साथ शेर करने से ना पता है एक और बेनिफिट आपको मिलता है और वो बेनिफिट है
क्या डिप्रेशन के बारे में बताना सही है
अगर आपने दूसरों के साथ शेर किया ना, एक तो आप उस भारी बोझ को आसानी से उठा पाओगे। कोई भी प्रॉब्लम जो भी है आपका प्रॉब्लम वो फाइनैंशल प्रॉब्लम भी हो सकता है। पर्सनल लाइफ रिलेशनशिप प्रॉब्लम भी हो सकता है। कोई भी प्रॉब्लम का सल्यूशन हमेशा होता है। और वो आप सीखोगे, दूसरे लोगों से।
दूसरा पॉइंट जो आपको याद रखना चाहिए। अक्सर हमारे जो थॉट्स होते हैं, आपके जो दिमाग के अंदर थॉट्स भाग रहे है ना यहाँ से लेकर वहाँ तक अब ऐनालाइज कर रहे हैं सारे प्रॉब्लम्स को और अक्सर ना देखो भारतीय समाज की एक और बहुत ही बढ़िया चीज़ है की हम सारे के सारे लोग स्मार्ट है। दुनिया में आप कहीं भी जाओगे ना तो लोगों को अक्सर यह कहते हैं कि यार इन्डियन्स वेरी स्मार्ट पीपल इंडियन स्मार्ट होते हैं।
डिप्रेशन के दौरान इन चीजों से रहे दूर
पर दुख की बात यह है कि यार अगर आपकी लाइफ में कोई भी नेगेटिव इन्फ्लुयेन्स है जैसे कि ड्रग्ज़ जैसे की बहुत ज्यादा अल्कोहल जैसे की गलत प्रकार का डायट, बट मोस्ट इम्पोर्टेन्ट ली गलत प्रकार के दोस्त। जिनके माइंडसेट्स गलत है। और उससे भी बुरी चीज़ गलत प्रकार के यूट्यूब चैनल गलत प्रकार के कॉन्टेंट क्रिएटर्स, गलत प्रकार के कॉन्टेंट पीसेस, जो आप कौन स्यूम कर रहे हो, जो आप सोशल मीडिया पर देख रहे हो? वो सब चीजों की वजह से आपकी दिमाग की नेगेटिविटी थोड़ी सी बढ़ जाती है। इन सारे नेगेटिव हैबिट्स को ना आपको थोड़ा सा दूर करना चाहिए। खुद से नेगेटिव लोगों को लाइफ से काटना चाहिए।
हम रिलेशनशिप में रेड फ्लैग देखते है ना मानलो आपने एक नई नई रिलेशनशिप स्टार्ट किया है और आपको लगे की यार नहीं यार ये बंदी या ये बंदा सही नहीं है। मुझे यह उनका कैरेक्टरिस्टिक अच्छा नहीं लगा उसे हम कहते हैं रेड फ्लैग। उसी तरह से फ्रेंडशिप में भी रेड फ्लैग होते हैं। कोई अगर ज्यादा सेल्फिश है, कोई अगर ज्यादा से निकल है कोई नेगेटिव हैं, किसी में बहुत ज्यादा घमंड है। ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए किसी को कट ऑफ करने से भी बहुत ज्यादा आपकी सोच बदलती है। याद रखो।
फाइनल पॉइंट् अगर मेंटल हेल्थ की बात आई ना तो हमें डेफिनेटली फिजिकल हेल्थ के बारे में बात करना ही चाहिए। दोनों आयुर्वेद और योग में मूवमेंट के बारे में बहुत बात होती है की यार हर दिन आपको अपनी बॉडी को थोड़ा सा मूव करना ही चाहिए। पर इसका साइंटिफिक लॉजिक क्या है? साइंटिफिक लॉजिक ये है की यार जभी भी आप एक्सरसाइज करते हो, कसरत करते हो आपकी बॉडी थोड़ी सी शौक मोड में चली जाती है और बॉडी की रिस्पॉन्स क्या होती है? बॉडी में डोपामीन और एंडॉर्फिन्सरिलीजहोतेहैं एंडोर्फिन्स फील गुड हॉर्मोन्स होते हैं।
डोपोमिन आपका रिगार्डिंग होम लोन होता है। डेली एक्सरसाइज की वजह से आपके बॉडी में डेली वो पॉज़िटिव, होम लोन्स, फीलगुड, होम लोन, श्री लीस होंगे ही होंगे। वो याद रखें और प्लीज़ मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि सारे के सारे मेंटल हेल्थ इशूज़ कसरत की वजह से दूर हट जाएंगे। बट डेफिनेटली उस मेंटल हेल्थ बैटल में जो आपकी जंग चल रही है ना अगर मेंटल हेल्थ इशूज़ के साथ उस जंग में आपकी जीत हो सकती है। फिजिकल एक्सरसाइज अगर आपके लाइफ में हो तो आपके लिए ही बेहतर है कि मैं नहीं कह रहा हूँ। आयुर्वेद कहता है योग कहता है।
साइंस भी कहता है की बॉडी की एंड ऑफ इस लेवल ज्यादा हो जाएंगे और आपकी बॉडी की जो नेगेटिव होर्मोन है ना? कॉर्टिसोल स्ट्रेस हार्मोन है। अगर आप ओवर थिंक करते है, ज्यादा सोचते हैं। नेगेटिव फीलिंग आती है ना वो पता हैं। नेगेटिव फीलिंग की एक वजह होती है कॉर्टिसोल। कॉर्टिसोल के लेवल्स भी नीचे आ जाएंगे। वो याद रखें
इसलिए बेहतर खानपान और एक अच्छा सवस्थ संतुलित लाइफ स्टाइल बहुत जरूरी है। अपना ध्यान रखें ऐसे और fitnessxtips के लिए सब्सक्राइब कीजिए आज। viruwap